पाकिस्तान सांप - चीन उसका बाप - मिलकर करेंगे भारत का सुफडा साफ़...Pakistan sanp - chin uska baap - milkar karenge bharat ka sufda saf..

 गेम चीन का - खिलाडी पाक सांप का...

नई दिल्ली: फ्राइडे को डिप्टी आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने चीन की सारी पोल खोल कर दी. उन्होंने बताया, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किस तरह से भारत, सामने से तो पाकिस्तान से लड़ रहा था, लेकिन असल में उसे चीन और तुर्की की सीधी मदद मिल रही थी. आज की तारीख में भारत का असली दुश्मन यही है. पाकिस्तान में इतनी ताकत नहीं कि भारत के सामने किसी भी मोर्चे पर टिक सके. अगर चीन या अमेरिका जैसे देश उसके पीछे न खड़े हों तो नया भारत जब चाहे तब उसको वर्ल्ड मैप से मिटाने का दम रखता है. आने वाले वर्षों में भारत का सबसे बड़ा दुश्मन चीन है, जो कम से कम 10 मोर्चे पर हमें जख्म दे रहा है और इससे निपटना भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

ऑपरेशन सिंदूर – पाक नहीं नापाक चीन लढ रहा था...

भारत को पहले से भनक थी, फ्रायडे को जनरल राहुल आर सिंह ने इसका खुलासा किया. यह तो जानकारी पहले से थी कि पाकिस्तान को अमेरिका ने भले ही F-16 जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट दे रखे हैं, उसके 81% सैन्य उपकरण चीन के ही हैं. ऑपरेशन सिंदूर में चीन पूरी तरह से पाक को रियल टाइम जानकारी दे रहा था. चीन ने इस संघर्ष को पूरी तरह से अपने हथियारों के प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया. पाकिस्तान की हेल्प उसके मुस्लिम दोस्त तुर्की ने पूरी कर दी. इसलिये भारत ने एक बड़ा फैसला लिया है, कि किसी भी भारतीय मिलिट्री सिस्टम में चाइनीज स्पेयर पार्ट्स का इस्तेमाल नहीं होगा. यह आदेश खासकर ड्रोन सिस्टम को लेकर विशेष रूप से दिया गया है.

बांग्लादेश में घुसपैठ कर गया चीन...

बांग्लादेश में जब से मोहम्मद युनुस को सत्ता में घुसाया है, चीन को भारत के इस पूर्वी फ्रंट में दखलंदाजी का मौका मिल गया है. चीन चाहता है कि वह अपनी पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी को वहां भी बेवजह सपोर्ट उपलब्ध करवा दे, जिससे भारत का टेंशन  बढ़ सके. यूनुस ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास अपने बंद पड़े एयरबेस चीन को देने की तमन्ना जाहिर करके इसका प्रमाण भी दे चुके हैं. भारत और चीन के बीच लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की सीमा है, जो करीब 3,488 किलोमीटर लंबी है. यहां सीमा पूरी तरह से तय नहीं है. दोनों देशों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) विभाजित करती है, इसलिए चीन पूर्वी लद्दाख से लेकर उत्तराखंड होते हुए सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक में आए दिन कोई न कोई विवाद पैदा करता रहता है. कभी गलवान और डोकलाम जैसे खुराफात को अंजाम देता है तो कभी LAC के पास रिहायशी इलाका बसाकर भारतीय सुरक्षा के लिए चुनौती खड़ा करता है. इस तरह का हथकंडा वह सिर्फ भारत के साथ ही नहीं करता, नेपाल और भूटान जैसे भारत के मित्र राष्ट्रों की जमीन हड़पने की भी उसकी मंशा बार-बार जाहिर होती रही है.

हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में चीन की जबरन दादागिरी... 

चीन के खतरनाक मंसूबे से हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी जैसे भारतीय प्रभाव वाले इलाके भी नहीं बचे हुए हैं. पहले ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस के रिसर्चर डेमियन साइमन एक्स पर एक रिपोर्ट दे चुके हैं कि किसी तरह से चीन का रिसर्च जहाज 'शियांग यांग होंग 03' भारत के समुद्र के पास घूम रहा है. साइमन ने कहा था कि ये जहाज उस इलाके में हैं, जहां भारतीय नौसेना मिसाइल टेस्ट करती है. यही नहीं चीन जंगी जहाजों के भी इन इलाकों पर नापाक इरादे कई बार जाहिर हो चुके हैंभारत का दक्षिण चीन सागर में सीधा कोई दावा नहीं है. लेकिन चीन के बढ़ते दबदबे के कारण भारत को अब इसमें शामिल होना पड़ रहा है. चीन वहां अपनी ताकत दिखा रहा है और क्षेत्र पर अपना दावा कर रहा है. उसने वहां स्थाई सैन्य निर्माण भी कर लिए हैं और उसका इरादा लगातार पूरे क्षेत्र को हड़पने के लिए बढ़ता जा रहा है। लेकिन, Indo-Pacific रणनीति के तहत भारत चीन की इस हरकत पर आंखें मूंदे नहीं रह सकता है. इसके अलावा, भारत के अपने आर्थिक हित भी हैं, जिसके लिए इस इलाके में शांति कायम रखना जरूरी है.

भारत का व्यापार घाटा बढ़ा - चीन का इंडेक्स चढा...

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार का अंतर बढ़ गया है. वित्त वर्ष 25 में ये अंतर 99 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. पिछले साल ये 85 बिलियन डॉलर था. भारत से चीन को होने वाला निर्यात कम हो गया है. लेकिन चीन से भारत में आने वाला सामान लगातार बढ़ रहा है. इसलिए दोनों देशों के बीच ये फासला बढ़ रहा है. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी हैभारत में चाइनीज माल को लेकर भी हमेशा से चिंता रही है. एक तरफ लोग कम दाम और कई तरह के सामान मिलने से तो खुश हो जाते हैं. लेकिन, दूसरी तरफ सामान की घटिया क्वालिटी और देश के व्यापार पर इसके असर को लेकर चिंता भी रही है. सस्ते चाइनीज माल की वजह से भारत के छोटे उद्योगों को भी नुकसान हो रहा है. खासकर फर्नीचर, औजार और हाथ से बने सामान बनाने वाले उद्योगों को परेशानी हो रही है. बहुत से लोग चीनी सामान इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि वो सस्ता होता है. लेकिन, कुछ लोगों को ये भी डर है कि इससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

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