पाकिस्तान को मिली सिख - पानी के लिए मांगी भारत से भिक....Pakistan Got a Lesson - Begged India for Water


 

मिली बड़ी सिख - 4 खत लिखकर मांगी 'पानी' की भीख...

आतंकवाद को अपनी विदेश पॉलिसी मानने वालों की हालत धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है. पाकिस्तान अब ना घर का रह गया न घाट का, ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान सरकार से लेकर आसिम मुनीर की लुटी पिटी फौज तक सब कंफ्यूज हैं कि करना क्या है और कहना क्या है. सिंधु जल समझौता रद्द करके भारत ने पाक को छठी का दूध याद दिलाया है, ऑपरेशन सिंदूर के घाव भरने में पाक आर्मी को दशकों का वक्त लगेगा.

पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा लिखे गए ४ पत्रों में सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत से ऑपरेशन सिंदूर से पहले मई में सिंधु जल संधि को रोकने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. हालांकि बाद में मंत्रालय ने नई दिल्ली को तीन और पत्र लिखे और समझौता फौरन बहाल करने की अपील की है. भीषण जल संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान ने भारत को चार बार पत्र लिखकर सिंधु जल संधि को बहाल करने के लिए कहा हैजिसे भारत की मोदी सरकार ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद निलंबित कर दिया गया था. पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक हमले के तहत भारत ने 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में दोनों पड़ोसियों के बीच जल-बंटवारे के समझौते को रोक दिया थाजब पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदुओं का धर्म पूछकर नरसंहार कर दिया था.

जल पॉवर मंत्रालय ने पाकिस्तान के सभी चार पत्रों को विदेश मंत्रालय को भेज दिया है. बता दे कि पाकिस्तान ने इस मामले में मध्यस्थता करने वाले वर्ल्ड बैंक से भी हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था. हालांकिउन्होंने कहा कि विश्व बैंक ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. सिंधु जल समझौते के तहत पूर्वी नदियाँ - सतलुजव्यास और रावी - भारत को और पश्चिमी नदियां - सिंधुझेलम और चिनाब - पाकिस्तान को आवंटित की गई हैं. पिछले महीने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरानप्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल संधि के ठहराव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते हैं.

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा 1972 के शिमला समझौते को मृत दस्तावेज घोषित किए जाने के एक दिन बादपाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत के साथ किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया हैजिसमें ऐतिहासिक शिमला समझौता भी शामिल है. बड़बोले आसिफ की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए पाक विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहाहालिया घटनाक्रमों ने इस्लामाबाद में ऐसी आंतरिक चर्चाओं को रफ्तार दी थीलेकिन नई दिल्ली के साथ मौजूदा समझौतों को खत्म करने के लिए कोई औपचारिक कदम नहीं उठाया गया है.

पीटीआई ने अधिकारी के हवाले से कहा, 'फिलहाल, किसी भी द्विपक्षीय समझौते को समाप्त करने का कोई ऑफिशिअल निर्णय नहीं लिया गया है.  शिमला समझौते सहित सभी संधियां चालू हैं. 3 जून को एक टीवी इंटरव्यू के दौरान, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था- भारत की एकतरफा कार्रवाई खासतौर से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को साल 2019 में रद्द करने से शिमला रूपरेखा अप्रचलित हो गई है.


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