|| अंतरिक्ष के ISS में - फोर्टीन डेज - भारत के सपूत शुभांशु शुक्ला का नमस्कार || Subhanshu Shukla surakshit pahunche space ke ISS me

 

भारत का हीरो

"नमस्कारमैं एक छोटा सा संदेश अपने प्यारे देशवासियों के लिए भेज रहा हैं. पिछले एक महीने क्वारंटीन में रहने के बादकल हमलोग लॉन्चपैड 39 से लॉन्च हुए हैंजहां से पहली मून लैंडिंग यानी Apollo-11 मिशन भी लॉन्च हुआ था. मैं इस वक्त स्पेस में बहुत ज्यादा उत्साहित हूं और बहुत ही ज्यादा गर्व का अनुभव कर रहा हूं."

भारत के सपूत शुभांशु शुक्ला ने हिस्ट्री रच दी है. 28 घंटे की सफर के बाद भारतीय अतंरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का ड्रैगन कैप्शूल गुरुवार शाम करीब 4 बजे इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन पर पहुंचा. शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के Axiom-4 मिशन को लेकर SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने बुधवार, 25 जून को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से सफल उड़ान भरी थी. उन्हें SpaceX के ही फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया था. 

ISS से शुभांशु शुक्ला का मेसेज - इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से शुभांशु शुक्ला ने देशवासियों के लिए मैसेज भेजा है. कहा कि  मेरे प्‍यारे देशवासियों... मैं यहां पर पहुंच चुका हूं. यहां पर खड़े रहना मुश्किल है... सर थोड़ा भारी हो रहा है लेकिन आप सबकी शुभकामनाएं साथ हैं. चक्कर आ रहा हैलेकिन अगले 14 दिनों के लिए उत्साहित हूं. आईएसएस पहुंचने के बाद अपने स्वागत समारोह में उन्होंने कहा कि 'मैं 634वां अंतरिक्ष यात्री हूं। यहां पहुंचना मेरे लिए गर्व की बात है.

अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शुभांशु ने कहा- What a Ride, मेरे कंधे पर लगा तिरंगा बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं. वहीं लॉन्चिंग सफल होने पर शुभांशु के माता-पिता आशा शुक्ला और शंभु दयाल शुक्ला भावुक हो गए. उन्होंने बेटे की सफलता पर ताली बजाकर खुशी जताई. 

अंतरिक्ष से अपने पहले संपर्क कॉल में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने बुधवार के प्रक्षेपण के अनुभव को याद किया. उस पल को ताजा करते हुए इस अनुभव को अवर्णनीय बताया। अंतरिक्ष से 'नमस्कार' के साथ अभिवादन करते हुए शुभांशु शुक्ला ने कहा कि उन्हें शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत हो रही है. उन्होंने कहा, 'मैं अभी भी शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत डाल रहा हूं, जैसे कोई बच्चा चलना सीख रहा हो, यह पता लगा रहा हो कि कैसे आगे बढ़ना है और खुद को संभालना कैसे है. मैं वास्तव में हर पल का आनंद ले रहा हूं। शुभांशु शुक्ला ने पृथ्वी की कक्षा में अपने अनुभव को अवास्तविक और मजेदार बताया.

भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला सहित चारों एस्ट्रोनॉट गुरुवार करीब 28 घंटे के सफर के बाद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुंच चुके हैं. अंतरिक्ष यान 'ड्रैगन' के स्पेस स्टेशन से डॉकिंग के करीब 1 घंटे के बाद चारों अंतरिक्षयात्री स्पेस स्टेशन के अंदर दाखिल हुए. स्पेस स्टेशन में पहले से मौजूद अंतरिक्षयात्रियों ने चारों का स्वागत किया. फिर चारों ने ड्रिंक्स का लुत्फ उठाया. शुभांशु अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं. इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के सल्युत- 7 स्पेस स्टेशन पर आठ दिन रहे थे. शुभांशु की यह यात्रा अमेरिका की प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी स्पेसअक्स द्वारा संचालित एक चार्टर्ड मिशन के तहत हुई है.

सात एक्सपेरिमेंट करेंगे शुक्लाजी...... 

1st रिसर्च - मायोजेनेसिस की स्टडी यानी अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के मांसपेशियों पर असर का अध्ययन किया जाएगा. अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने वाले अंतरिक्षयात्रियों की मांसपेशियां घटने लगती हैं. यह स्टडी भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए काफी कारगर होगा.

2nd रिसर्च - शुभांशु का दूसरा एक्सपेरिमेंट फसलों के बीजों से जुड़ा है. यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोग्रैविटी का बीजों के जेनेटिक गुणों पर क्या असर पड़ता है.

3rd रिसर्च - तीसरा एक्सपेरिमेंट आधे मिलीमीटर से छोटे जीव टार्डीग्रेड्स पर किया जाएगा. शुभांशु यह स्टडी करेंगे कि अंतरिक्ष में इस छोटे से जीव के शरीर पर क्या असर पड़ता है. टार्डीग्रेड्स को दुनिया का सबसे कठोर और सहनशील जीव माना जाता है. ये धरती पर 60 करोड़ साल से जी रहे हैं.

4th रिसर्च - शुभांशु चौथा रिसर्च माइक्रोएल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल पर होगा. यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोएल्गी  का माइक्रोग्रैविटी पर क्या असर प़ड़ता है। यह मीठे पानी और समुद्री वातावरण दोनों में पाए जाते हैं. पता लगाया जाएगा कि क्या भविष्य के लंबे मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण में उनकी भूमिका हो सकती है.

5th रिसर्च - शुभांशु शुक्ला मूंग और मेथी के बीजों पर भी स्टडी करेंगे. माइक्रोग्रैविटी में बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाएगा. इस रिसर्च का उद्देश्य है कि अगर भविष्य में अंतरिक्ष में बीजों  को अंकुरित करने की जरूरत पड़ी तो क्या यह संभव है.

6th रिसर्च - स्पेस स्टेशन में बैक्टीरिया की दो किस्मों पर रिसर्च करने से जुड़ा है.

7th रिसर्च - अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी की परिस्थितियों में कंप्यूटर स्क्रीन का आंखों पर कैसा असर पड़ता है. शुभांशु इस पर स्टडी करेंगे.

शुभांशु ने कल भी मिशन लॉन्च होने के बाद अंतरिक्ष में प्रवेश करते ही एक वीडियो मैसेज भेजा था और आज एक बार फिर उन्होंने और उनके साथ बाकी अंतरिक्ष यात्रियों ने भी अपने-अपने देशवासियों के लिए अपनी-अपनी भाषाओं में संदेश भेजा है. शुभांशु का वीडियो मैसेज हिंदी भाषा में हैं - "नमस्कार, मैं एक छोटा सा संदेश अपने प्यारे देशवासियों के लिए भेज रहा हैं. पिछले एक महीने क्वारंटीन में रहने के बाद, कल हमलोग लॉन्चपैड 39 से लॉन्च हुए हैं, जहां से पहली मून लैंडिंग यानी Apollo-11 मिशन भी लॉन्च हुआ था. मैं इस वक्त स्पेस में बहुत ज्यादा उत्साहित हूं और बहुत ही ज्यादा प्राउड (गर्व) का अनुभव कर रहा हूं."

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