SCO शिखर सम्मेलन में तुर्की और अजरबैजान का भारत करेगा बाॅयकोट...SCO Shikar Sammelan me Turki aur Ajarbaijan ka Bharat Karega Boycott



SCO शिखर सम्मेलन में तुर्की और अजरबैजान की उपस्थिति को लेकर भारत ने आपत्ति जाहिर की...

नई दिल्ली: चीन के तियानजिन में होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के यार-दोस्त तुर्की और अजरबैजान के शामिल होने को लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. सितंबर की शुरुआत में ही होने वाले इस शिखर सम्मेलन में दुनियाभर के 20 देशों के मुखिया हिस्सा ले सकते हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तियानजिन जा सकते हैं. सम्मेलन से पहले भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले इन देशों की हजेरी SCO के उद्देश्यों पर पानी फेर सकती है.

अजरबैजान पाक के साथ मोहब्बत इसलिए भी निभा रहा था, क्योंकि आर्मीनिया के साथ उसकी लड़ाई में पाकिस्तान अजरबैजान का ही समर्थन करता है. पाकिस्तान ने आर्मीनिया को देश के रूप में मान्यता भी नहीं दी है. ऐसे में अजरबैजान और आर्मीनिया के मामले में पाकिस्तान की नीति एकतरफा ही रही है. अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर विवाद है। एक तरफ भारत इस मुद्दे पर संतुलित रवैया अपना रहा है तो पाकिस्तान अजरबैजान का एकतरफा समर्थन करता है. व्यापारिक संबंधों की बात करें तो भारत और अजरबैजान के बीच भी रिश्ते अच्छे हैं. हालांकि राजनीतिक समर्थन के मामले में अजरबैजान ने पाकिस्तान का ही साथ दिया. इसकी एक वजह अजरबैजान और तुर्की की करीबी भी है.

22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के बाद से ही तुर्की और अजरबैजान पाकिस्तान के साथ भाईचारा दिखाने लगे थे. जहां एक तरफ बाकी मुस्लिम देशों ने भी आतंकवादी हमले की निंदा की और ऑपरेशन सिंदूर पर संतुलित रुख अपनाया, वहीं तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया. यहां तक कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान भारत पर हमले के लिए तुर्की में बने ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा था. वहीं अजरबैजान पाकिस्तान का राजनीतिक तौर पर पूरा साथ दे रहा था.

विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन की यात्रा पर पहुंचे थे तो उन्होंने भी SCO की बैठक के दौरान साफ कह दिया था कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को दरकिनार करना होगा. उन्होंने कहा था कि पहलगाम हमले के पीछे यही उद्देश्य था कि जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया जाए और हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत पैदा की जाए. उन्होंने कहा था कि SCO देशों को मिलकर आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना होगा.

शंघाई सहयोग संगठन के 10 पूर्ण सदस्य हैं. इसका गठन 2001 में चीन में ही किया गया था. इसमें पहले कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान शामिल थे। 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इस संगठन में शामिल हो गए. 2021 में ईरान को भी संगठन में पूर्ण सदस्य का दर्जा दिया गया. बेलारूस को 10वें पूर्ण सदस्य के रूप में संगठन में शामिल किया गया है. इस बार डायलॉग पार्टनर के तौर पर चीन ने तुर्की, अजरबैजान, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, आर्मीनिया, एजिप्ट, कतर, सऊदी अरब, कुवैत, मालदीव, म्यांमार, बहरीन और यूएई को निमंत्रण दिया है.


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