भारत में आज 26वां कारगिल विजय दिवस मनाया गया - देश के शहीद वीरों को नमन... Bharat me aaj 26th Kargil Vijay divas Manaya Gaya - Desh ke Shahid Viro ko Naman
1999 में भारतीय सैनिकों ने बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों और दुश्मन की लगातार गोलाबारी के बीच साहस और अटूट संकल्प के साथ कारगिल की चोटियों को फिर से हासिल किया था. इस मौके पर भारतीय वायु सेना, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सेना प्रमुख ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी....
नई दिल्ली : भारत देश आज 26वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है, जो भारतीय सेना के साहस, शौर्य और बलिदान का प्रतीक है. 1999 में ऑपरेशन विजय के तहत कठिन पहाड़ियों पर कब्जा दोबारा हासिल किया गया था. इस मौके पर आज देश शहीद वीरों को नमन कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु समेत कई नेताओं ने जांबाज भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. कारगिल से जुड़ी कई वीरगाथाएं सामने आ रही हैं. इसी कड़ी में एक कहानी ऐसी है जो पाकिस्तान की शर्मनाक हालत और उसकी कायरता और नीचता को उजागर करती है. उस समय भारतीय अधिकारियों के सामने ही पाकिस्तान के एक अधिकारी ने खुद कबूल किया कि उसे 'जूते खाने' के लिए अकेले भेजा गया था.
कारगिल की लड़ाई के दौरान बीएसएफ को जो भी जिम्मेदारी दी गई, उसे इस बल ने अपने शौर्य से पूरा कर दिखाया. काली पहाड़ी क्षेत्र में बटालियन के वे सैनिक तैनात थे, जो बटालियन मुख्यालय को सुरक्षा प्रदान करते थे. बटालियन मुख्यालय को निशाना बनाकर पाकिस्तान की तरफ से भरपूर गोले गिराए गए थे. 1965 के दौरान, पाकिस्तान ने लद्दाख को कश्मीर घाटी से जोड़ने वाली सड़क को काटकर इस पहाड़ी पर कब्जा कर लिया था. आकलन के आधार पर, ब्रिगेड मुख्यालय ने बीएसएफ को 'काली पहाड़ी' पर कब्जा करने का आदेश दिया. पाकिस्तान द्वारा इस पहाड़ी के आसपास, बारूदी सुरंगे बिछाई गई थी. वहां पर सैनिकों के लिए कोई आश्रय या कोई सहारे की व्यवस्था नहीं थी. पानी और भोजन खच्चरों से भेजा जाता था.
एंटी-पर्सनल बारूदी सुरंगों पर पैर रखने की उच्च संभावना के बावजूद, बीएसएफ के जांबाजों ने तय समय योजना के अनुसार काली पहाड़ी पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ना जारी रखा. बदकिस्मती से असिस्टंट कमांडेंट सुरेंद्र सिंह एक बारूदी सुरंग पर पैर रख बैठे और अपना एक पैर खो बैठे. उनकी वीरता के लिए उन्हें पराक्रम पदक से सम्मानित किया गया. सहायक कमांडेंट प्रदीप कुमार के निर्देशन में, चोरबत ला में तैनात मोर्टार अत्यंत प्रभावी रहे. उन्होंने पाकिस्तानी चौकियों के कई पेट्रोल, तेल और पीओएल भंडार, गोला-बारूद भंडार आदि को नष्ट कर दिया.
युद्ध में लगी कई सैन्य यूनिट्स के कारण, आदेशों के त्वरित प्रसार की आवश्यकता थी. दक्षिण भारतीय राज्यों से संबंधित बीएसएफ कर्मियों को रेडियो टेलीफोनी (आरटी) प्रसारण प्रदान किया गया. यह बहुत उपयोगी साबित हुआ, क्योंकि सेना द्वारा सूचना के उल्लंघन के खतरे के बिना यथासंभव शीघ्रता से सूचना साझा की गई. पाकिस्तानियों के इंटरसेप्ट किए गए संदेशों को समझने में भी कठिनाई हुई, क्योंकि सेना के कर्मियों को स्थानीय भाषाएं नहीं आती थीं. इसके लिए आर्मी इंटरसेप्शन सेंटर में तैनात बीएसएफ के स्थानीय लद्दाखी कर्मी बहुत उपयोगी साबित हुए.
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Jai hind
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